ये मेरा दीवानापन Poem by Ashish Singh

ये मेरा दीवानापन

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हवा है नशा है
धूप है या फिजा है...
बस तू ही तू है
जो भी अब यहाँ है...

कोई तो बता दो क्या मुझको हुआ है
क्यों रुकते नहीं हाथ मेरे
जब भी तुझको लिखा है...

दीवाना कहो आशिक कहो
या कहो मुझको पागल
ये तेरा ही कसूर है
तूने जो मुझको घायल किया है....

है रोग कोई तो दवा अब मुझको दो ना
मजा आ रहा है यारो
इसको दर्द न तुम कहो ना..

हू अगर भरम में
न होश में मुझे लाओ यारो
ये जाम-ए-इश्क जो है
मुझे और पिलाओ यारो...

दुनिया ये रंगिन लगने लगी है
हर तरफ़ बस ख़ुशी है
अब गम ना कही है

क्या हुआ है मुझको
क्या लिखे जा रहा हूं
क्या यही है मोहब्बत
जो किए जा रहा हूं.....! ! !

© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️

ये मेरा दीवानापन
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