बलि चढ़ा दी
शुक्रवार, ७ सितम्बर २०१८
मेरा मन चला उस और
जहाँ किया मैंने गौर
क्यों मच रहा था शोर?
बात होगी कोई गंभीर!
लोग बिच सड़क पिट रहे हे
प्रेमी जोडे बिलख रहे है
"छोड़ दो हमें छोड़ दो"
हमें सकुशल घर जाने दो।
लोगों पर भुत सवार था
मरने मारने का बुखार चढ़ा हुआ था
किसी ने उनकी एक बात ना सुनी
बस उनके पर जान की आफत आ बनी।
टपली दांव चले लगा
जो भी आया, अपना हाथ साफ़ करने लगा
फिर कहीं से आवाज आई " मारो, मारो"
उनको ऊपर पहुंचादो।
किसी ने किसी को भी इत्तला ना दी
उनकी महोब्बत की बलि चढ़ा दी
वो तो मारे गए, पर अपनी महोब्बत के लिए जान दे दी
उफ़ तक ना की और सहर्ष बीदा ले ली।
हसमुख अमथालाल मेहता
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किसी ने किसी को भी इत्तला ना दी उनकी महोब्बत की बलि चढ़ा दी वो तो मारे गए, पर अपनी महोब्बत के लिए जान दे दी उफ़ तक ना की और सहर्ष बीदा ले ली। हसमुख अमथालाल मेहता
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