Bat Ki Bat (Hindi) बात की बात Poem by S.D. TIWARI

Bat Ki Bat (Hindi) बात की बात

बात की बात

बातों बातों में, नयी बात निकल आती है।
छिटके हुए बीज से, ज्यों पौध निकल आती है।
बिन सोची हुई बात का न नतीजा है भला
चलती है जब बात तो, दूर तलक जाती है।

बात से बिगड़ा हुआ रिश्ता संभल जाता है।
बात में किसी बात का हल निकल आता है।
बात कर लेने से हालात बदल जाता है।
बात करने से थोड़ा दिल बहल जाता है।

कितनी बातें हैं जो केवल भरमाती हैं।
बनाई हुई बात से, कहानी बदल जाती है।
बनावटी बात तो है, चापलूसी का सबब,
सच्ची बात में पर, प्रीत झलक जाती है।

कभी किसी बात से जज्बात भड़क जाता है।
कभी प्यार भरी बात से मन जुड़ा जाता है।
मीठी बातों से पाता है दिल शकून बड़ा,
कर ले दो बात तो, दिल हल्का हो जाता है।

बातों बातों में दिल, किसी से मिल जाता है।
मजे की बात हो तो दिल खिल जाता है।
कभी घाव, कभी मरहम सी होती बातें,
कभी जुड़ जाता कभी दिल टूट जाता है।

एस० डी० तिवारी

Thursday, December 24, 2015
Topic(s) of this poem: philosophy,hindi
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 24 December 2015

सच्ची बातों में मगर, प्रीत झलक जाती है। कर ले दो बात तो, दिल हल्का हो जाता है।..... बहुत खूबसूरत और नायाब अभिव्यक्ति. धन्यवाद.

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