भाग्यशाली व्यक्ति Bhagyashali Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

भाग्यशाली व्यक्ति Bhagyashali

भाग्यशाली व्यक्ति

जब मीठे सपने आने लगे
जब आपको अच्छा लगने लगे
उसकी हर बात में आपको दम नजर आए
तो समझना आप उसकी नजर में कैद हो गए।

उसके मोहपाश में आप बंध गए
उसकी नजरों में ओझल हो गए
अब आप बहार नहीं आ सकते
प्रेम किए बिना नहीं रह सकते।

ये बहार आपकी नहीं
ये सपने आपके नहीं
ये चाल में कुछ फर्क आ गया है
आपके सोचने का ढंग बदल सा गया है।

चलो मान लेते है
आपको इश्क़ का ज्वर आ गया है
आप सोच नहीं सकते ज्यादा
आप मिलने पर है आमादा।

सपने अपने खूब सजाईए
मन्नते भी खूब रखीए
सपना अधूरा नहीं रहेगा
आपकी सांसोंको नया बल मिलेगा।

जिनके पास नयी राह नहीं
उनकी आस पूरी होती नहीं
चाहत एक जंग है
उसमे भतेरे रंग है।

पसंद कर लिजिए अपना पसंदी का रंग
खुब मौजमस्ती करे उसके संग
जीवन आपका है सो सोच भी आपकी ही है
आप ही मालिक और आप ही भाग्यशाली व्यक्ति है।

भाग्यशाली व्यक्ति Bhagyashali
Thursday, June 29, 2017
Topic(s) of this poem: poem
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पसंद कर लिजिए अपना पसंदी का रंग खुब मौजमस्ती करे उसके संग जीवन आपका है सो सोच भी आपकी ही है आप ही मालिक और आप ही भाग्यशाली व्यक्ति है।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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