भटक गए है किस के लिए
तुम करते रहो अपने करम
और कहे रहो उसे धरम
चढ़ जाए बलि गुलशन के गुल
हम कैसे करे ऐसी भुल?
हमें कोई ऐसा फलसफा तो बताओ?
जिस में कोई पराया ना हो
प्रेम से बढ़कर कोई ऊंचा ना हो
फिर कोई जीसस, राम या कहे अल्लाहो।,
कितने बेगुनाह और परवान होंगे?
मेरी धरती के लाल कुर्बान होंगे
कब बोलेगी माँ 'अब तो बस कर लो'
अपनों शमशीर को म्यान में रख लो।
मेरे खून को इतना सस्ता ना बनाओ
इंसानियत को शर्मसार ना दिखाओ
कर्म तुम्हारे पीछा नहीं छोड़ेंगे
गुरुर को वो ऐसे हो तोड़ेंगे।
मेरे दूध को लज्जित ना करो
बस अमन और चैन कायम करो
ना वो भागे जा रहे है और ना ठुकरा रहे है
बस करते रहो करम, वो दुआ दिए जा रहे है।
दुनिया दहशत से कभी नहीं मरेगी
वो तो अपनी मिसाल कायम करेगी
यहाँ अमन चेन को ही स्थान है
पापी और जल्लादों का जल्द ही हनन है।
मेरे वतन के युवान क्यों गुमराह हो रहे है?
धर्म के नाम पर बेगुनाह को क्यों मार रहे है?
यदि अल्लाताला को ही पाना है फिर खून की होली क्यों?
बाकियों का खून पानी और अपना खून असली खून ऐसा क्यों?
कभी माफ़ नहीं होगा वतने जुर्म
आप चाहे कहलो उसे अपना धर्म
वो भी देख रहा है ऊपर से आंसू लिए
आप सब भटक गए है किस के लिए?
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तुम करते रहो अपने करम और कहे रहो उसे धरम