भविष्य उज्जवल हो
चला गया
वर्ष बित गया
कुछ दे आया
कुछ ले गया।
कत्लेआम हुआ
सरेआम हुआ
लोग घरभंग हुए
देश छोड़ने पर मजबूर हुए।
बिताई सर्द रातें आसमान के नीचे
भूखे और भय के साथ सोए छोटे बच्चे
किसी के मरने का हरदम अंदेशा
यही था सालभर का संदेशा।
हम फिर सत्यमार्गी है
फिर भी लोगों की मर्जी है
कभी बह्कावेमे आ जाते है
देश की संपत्ति को जला देते है।
देश का हर नागरिक जिम्मेदार हो
देश की संपत्ति का सही हकदार हो
दिल से कहे की में इसकी रक्षा करूँगा
समय आनेपर खुद का बलिदान भी दे दूंगा।
जो चला गया उसे याद नहीं करना
जो हो रहा है उसका गम नहीं करना
आनेवाला है उसे नजर के सामने रखना
भविष्य उज्जवल हो उसकी ही कामना करना।
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