बीच मुझे जीना है
चाहती हूँ सिर्फ उझाला
ओर रस्म को निभाना
दिन का काम मुझे बहुत कुछ सीखाता है
अपनेपन का एहसास दिलाता है।
चाहती हूँ हिरनी जैसा भागना
उछलना, कूदना और सम्हलना
किसको फुर्सत है आग से खेलना
खुदको बचाना और बच के रहना।
नहीं जानती क्या होंगे उसूल?
पर सब कुछ है कुबुल
हम नए नए है मझधार मे
नैया को लगाना उस पार है।
यदि में ऐसा जानती
तो कभी मुंह से न बोलती
न कभी जिक्र करती
और न हीं जबान खोलती।
न मुझे किसी से बैर रखना है
और नहीं जहर को चखना है
मुझे तो खेलना है आतश से
सही मायनो में तलाश है अपने आप से।
में सब्र कर लुंगी खुशियों के संग
भर दूंगी हजारो उस मे रंग
आसमान का आडंबर यहाँ देखना है
जीवन की बेचैनियों के बीच मुझे जीना है।
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में सब्र कर लुंगी खुशियों के संग भर दूंगी हजारो उस मे रंग आसमान का आडंबर यहाँ देखना है जीवन की बेचैनियों के बीच मुझे जीना है।