बिना इझाजत का परवाना कहते है
हर चीज़ में औरत है
विनाश में भी और शोहरत में भी
उसके बिना जीवन ही अधूरा है
वो ही तो हमारे जीवन की एक मात्र धुरा है
इस को इस तरह लिया जाय
सभी बाकी पहलुओंको पूरा मान दिया जाय
हमारे देश में आज भी औरत सर्वोच्च है
उसका स्थान सुनिश्चित और उच्च ही है
न ही हम उनको परदे में रखने के हामी है
न हीं हम उनकी बदनामी के पक्षधर है
बात उसूल की है तो यह बिलकुल सही है
माँ और बहने ही पीड़ित है।
हम बाते तो एक्कीसवीं सदी की करते है
पर आचरण जंगलवर्ष की तरह ही करते है
हम भूल जाते है की हमारा उत्थान उन्ही से है
और अधोगति भी उनके पतन से है।
पशु अपना स्वाभाव कभी नहीं बदलता
मानव इस चीज़ को बराबर समझता
पर आखिर में पशुता आही जाती है
बर्बरता और नीचता आँखों में बहने लगती है।
फिर भी मायूस होने की जरुरत नहीं
हमारी भी आदतें सही नहीं
हम दूसरी संस्कृति को इधर लाना कहते है
पर अपने मूल्यों को बरकरार रखते है
कुत्ते की दम सीधी हो नहीं सकती
हमारी फितरत कभी बदल नहीं सकती
हमारा गुस्सा अपनी माँ और बहन की हिफाजत तक ही है
बाकियों को हम अपनी हवस के लिए बिना इझाजत का परवाना कहते है।
welcome nisha lovely khurana Unlike · Reply · 1 · Just now
1Pritam Kumar Comments welcome Unlike · Reply · 1 · Just now
WELCOME DINESH Dinesh Jangid Unlike · Reply · 1 · Just now
WELCOME SULEMAN MOHD YUSUF Unlike · Reply · 1 · Just now
WELCOME JYOTSANA Paras Raheja Unlike · Reply · 1 · Just now
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कुत्ते की दम सीधी हो नहीं सकती हमारी फितरत कभी बदल नहीं सकती हमारा गुस्सा अपनी माँ और बहन की हिफाजत तक ही है बाकियों को हम अपनी हवस के लिए बिना इझाजत का परवाना कहते है।