मैंने चाहा
बुधवार, २ फरवरी २०२२
मैंने चाहा
फिर भी ना कहा
मन ने खूब सहा
भीगता रहा बरखा।
तू मन में रही
मुझे कहती रही
में तेरी भगिनी और मन मानिनी
दिल के भीतर एक छुपी कहानी
मन को सुहाती
कान में फुसफुसाती
अकेली गुनगुनाती
पर खूब मुझे तरसाती।
तेरा वर्णन
मानो बहारे चमन
हर लेता मेरा मन
दिल कर लेता तेरा चयन
मेरे दिल की एक कड़ी
जब से तुजे आँख लड़ी
देखु तुजे घडी घडी
ना देखतो अंखिया रो पड़ी।
भीतर में चमन
तू रही मेरा अमन
चेन खो गया, हाल भी रहा खस्ता
मेरे दिल का है तेरा वास्ता।.
मिलो या ना मिलो
पर एक बात सुन लो
मुझे जी भरके देख लेने दो
ददर से ही सही एक बार कह तो देने दो।
साथ रहोगी तो कट जाएगी
जीवन मे रंगीनी छा जाएगी
महोब्बत रंग लाएगी
जीवन में ख़ुशी ही ख़ुशी छा जाएगी।
प्यार का रंग है अनोखा
जीवन का लेखा जोखा
हवा के संग संग बिखेर देंगे
सपनों को बहारों के संग मिला देंगे।
डॉ हसमुख मेहता
साहित्यिकी
Omanakuttan Suresh Absolutely Beautiful..... Reply4 d
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