चाँद लगे सुनेहरा
दिल का चोर
मचाये खूब शोर
अपने ही घर
उसे जैसे लगे 'बेघर'
पता नहीं क्यों?
बार बार ज्यों
मन में भय सताता
उसका दूर हो जाने का बिचार खूब डराता।
सानु की फरक पेंदा?
मैंने भी सोच लिया सदा
यह ठीक रहेगा यदि बोल दिया जाय
एक धक्का जोर से दिया दिया जाय।
प्यार क्या रास्ते में पड़ा है?
एक आवारा सा लड़का बेचारा खड़ा है
मने में आस लगाए मंझिल को देखता
जमीं में नाख़ून गड़ाए खोदता।
बार बार कल्लू का चेहरा
लगाकर एक छद्मधारी मोहरा
हंसती रहती है खीलखिलाकर
जैसे मेरो को मारने की कोशिश करती है बाण लगाकर।
मै भी हूँ तैयार
दफ़न होने को मेरे यार
मर भी जाएंगे तो क्या होगा?
एक और मझनू का नाम जुड़ जाएगा।
दिल का चोर
मचाये खूब शोर
अपने ही घर
उसे जैसे लगे 'बेघर'
पता नहीं क्यों?
बार बार ज्यों
मन में भय सताता
उसका दूर हो जाने का बिचार खूब डराता।
सानु की फरक पेंदा?
मैंने भी सोच लिया सदा
यह ठीक रहेगा यदि बोल दिया जाय
एक धक्का जोर से दिया दिया जाय।
प्यार क्या रास्ते में पड़ा है?
एक आवारा सा लड़का बेचारा खड़ा है
मने में आस लगाए मंझिल को देखता
जमीं में नाख़ून गड़ाए खोदता।
बार बार कल्लू का चेहरा
लगाकर एक छद्मधारी मोहरा
हंसती रहती है खीलखिलाकर
जैसे मेरो को मारने की कोशिश करती है बाण लगाकर।
मै भी हूँ तैयार
दफ़न होने को मेरे यार
मर भी जाएंगे तो क्या होगा?
एक और मझनू का नाम जुड़ जाएगा।
पर काला सा चेहरा तेरा
दिल हरे मेरा
हर दिन ले प्रतीक्षा मे नाम और साँस ले गहरा।
वोहो ही तो है प्रेम का दुसरा नाम जब "चाँद लगे सुनेहरा" ।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
welcome kumar hindu Like · Reply · 1 · Just now