चार चाँद.... Charchand Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

चार चाँद.... Charchand

Rating: 5.0

Thursday, August 9,2018
10: 06 AM

चार चाँद

गुरूवार, ९ अगस्त २०१८

जहाँ विचार का उद्भव हो
वहां सुविचार हो सकता है
जहां प्रकाश का पुंज हो
वहां अन्धेरा गायब हो सकता है।

जहां आत्मा हो
वहां परमात्मा का भजन हो सकता है
जहां चाहकी संभावना हो
वहां राह मिल ही सकती है।

जहां अच्छा परिवार हो
वहां संस्कार का सिंचन हो सकता है
अच्छे गुणों का सम्पादन हो सकता है
विश्वास के बीज बोये जा सकते है।

यह सब कुछ संभव है
कुछ भी असम्भव नहीं है
बस दिल में दुर्भाव ना हो
सद्भाव की ही कल्पना हो।

अच्छी किताबे पढ़ना
और मानपूर्वक संबोधन करना जरुरी है
किसीको भी बुरा लग सकता है
उसके दिल को ठेस लग सकती है।

अपने गुण अपने तक ही सिमित रखो
और उसका पालन नियमित करो
आपकी शालीनता अपने आप दिख जाएगी
आपकी शख्सियत को चार चाँद लगाएगी

हसमुख अमथालाल मेहता

चार चाँद.... Charchand
Wednesday, August 8, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 12 August 2018

welcome roma kaur 1 Manage Like · Reply · 1m

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Mehta Hasmukh Amathalal 08 August 2018

अपने गुण अपने तक ही सिमित रखो और उसका पालन नियमित करो आपकी शालीनता अपने आप दिख जाएगी आपकी शख्सियत को चार चाँद लगाएगी हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathalal 08 August 2018

अपने गुण अपने तक ही सिमित रखो और उसका पालन नियमित करो आपकी शालीनता अपने आप दिख जाएगी आपकी शख्सियत को चार चाँद लगाएगी हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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