छबि पूर्णतः धुंधली कर रहे है.. Chhavi Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

छबि पूर्णतः धुंधली कर रहे है.. Chhavi

Rating: 5.0


छबि पूर्णतः धुंधली कर रहे है

मेरे द्देशवसियों क्या हो गया है?
क्यों आप को सांप सूंघ गया है?
कहाँ गयो वो बातें शहादत और कुर्बानियों की
क्यों आज पड चुकी है बेड़ियां परेशानियां की ।

क्यों आज मेरे गुलशन में कोई गुलाब नहीं खिल रहा?
क्यों मेरा वतन आज मेरे से बिछड़ रहा?
हर फूल क्यों आज मुरझा हुआ दिख रहा?
मेरे पास आज आंसू गिरा ने के सिवा कुछ नहीं रहा।

गुलशन में गुल है, बहार भी है
हवा का मस्त झोका और फुहार भी है
सब फूल हंसना चाहते है
पर कुछ कहने से कतराते भी है।

हर शख्सियत में मुझे इंसानियत की कमी नजर आती है
हर ओरत मुझे चीख चिखकर कुछ कहती सुनाई देती है
हमारी दुर्दशा किसने की है इस देशमे यह तो बताओ?
बाद में देशभक्ति के गुण गाओ और सपने दिखलाओ

में चिल्ला चिल्ला के बतलाना चाहता हूँ
देशभक्ति को में भी मानता हूँ
मेरे जवान देशमे ही मर रहे है
नक्सलाइट उन्हें चुन चुनकर मौत की नींद सुला रहे है।

कोई नहीं रोता उनकी शहादत पर.
मज़बूरी थी जो सो गए इबादत समजकर
कोई ये नहीं कहता ख़त्म करदो इस नासूर को!
कब तक हम पालते रहेंगे इस असुर को।

होली का रंग मुझे फीका लग रहा है
हर देसवासी पर लगा एक धब्बा समान लग रहा है
हम कुछ और बेईमान हमारे सर पे थोपने जा रहे है
भारत के भावी को दांव पर लगाने जा रहे है

पहले हवाई जहाज हवामे ध्वस्त हुआ करते थे
रेल हादसे बस सुबह के नास्ते के समय पढ़ा करते थे
आजकल 'पनडुब्बियां ' डूबी जा रही है
मेरे देश की नैया कहाँ जा रही है?

कौन गद्दार ये सब कर रहे है?
कौन बीच में दलाली खा कर ये सब हादसे करवा रहा है?
देश को जानने का पूरा हक़ है
क्यों लटकाते नहीं सरे आम और आप सब मूक है!

सब जगह चोरो की जमात अपना कसाब आजमा रही है
गरीबी बेचारी प्याज और आलू में ही आंसू बहा रही है
ये सब मिलकर करोडो में चंदा वसूली कर रहे है.
भारतवर्ष की छबि पूर्णतः धुंधली कर रहे है।

Sunday, March 16, 2014
Topic(s) of this poem: POEM
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 17 March 2014

Harinder Pal Singh shared your photo.

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 16 March 2014

Gurdeep Singh Kohli ?? ?? ???? ?? ???? ?????? ?? ?????? ??? ???? ?? ???? ? 13 hours ago · Unlike · 1

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 16 March 2014

welcome harinder singh a few seconds ago · Unlike · 1

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 16 March 2014

Vicky Singh likes this. Hasmukh Mehta welcome a few seconds ago · Unlike · 1

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 16 March 2014

Krishna Thapa likes this. Hasmukh Mehta welcome krishna a few seconds ago · Unlike · 1

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 22 March 2014

3 people like this. Hasmukh Mehta welcome rqax love, punit parmar n piyush shah a few seconds ago · Unlike · 1

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 19 March 2014

Veer Gurdeep Singh shared your photo. Good morning to all.....should think about these lines

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 19 March 2014

Malkiat Kaur Sidhu likes this. Hasmukh Mehta welcome malkiat ji a few seconds ago · Unlike · 1

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 17 March 2014

a welcome Naghera UV Ahir likes this. a few seconds ago · Unlike · 1

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 17 March 2014

Harjot Makkar shared your photo.

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success