धनी और बडभागी, , dhani or badbhagi Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

धनी और बडभागी, , dhani or badbhagi

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धनी और बडभागी

मेरी आँखे उसे ढूंढ़ रही है
वो चुपचाप क्यों सो रही है है?
मुझे आज भी वो निगाहें याद है
मिले थे बिच चोराहे कुछ फ़रियाद नहीं है

आज भी वो मेहरबान है मुझपर
फिर भी वार कर लेते है कसकर
जीने का मौक़ा देते नहीं हंसकर
चल देते है थोडा सा मुस्कुराकर

जाने क्या था जादू वो हसरत भरी आँखों में?
खो जाता हु में पलभर, उस नाजुक सी पलकों में
थोडा सा देख भी लो, ज़माना चौंक जाएगा
ये परवाना ले के आरज़ू, फिर पास आपके आएगा

करना है बसर जिन्दगी अमन और चेन से
बुलाना चाहो, सोच लो मगर दिली प्यार से
हम है बिछाए नजरे, कुबुल कर लो हेत से
मन से मिले है दोनो नजरें आजमालो मित से

तुम ने माँगा हम ने चाहा, मिल गया एक रास्ता
अब तो जो भी होगा बस प्यार का है वास्ता
आसमान तले हम विचरेंगे, क्या क्या सपने संजोएगे
कभी ना हॉगा दुःख हमको, यदि अलग होना पडेगा वियोगे

येही है जीवन येही है आरज़ू
आप हो कायल हमारे, फिर भी इतने समझू
हर दिल यही दुवा करे, मिल जाए एक साथी
कहलायेगा किसमत का धनी और बडभागीधनी और बडभागी

मेरी आँखे उसे ढूंढ़ रही है
वो चुपचाप क्यों सो रही है है?
मुझे आज भी वो निगाहें याद है
मिले थे बिच चोराहे कुछ फ़रियाद नहीं है

आज भी वो मेहरबान है मुझपर
फिर भी वार कर लेते है कसकर
जीने का मौक़ा देते नहीं हंसकर
चल देते है थोडा सा मुस्कुराकर

जाने क्या था जादू वो हसरत भरी आँखों में?
खो जाता हु में पलभर, उस नाजुक सी पलकों में
थोडा सा देख भी लो, ज़माना चौंक जाएगा
ये परवाना ले के आरज़ू, फिर पास आपके आएगा

करना है बसर जिन्दगी अमन और चेन से
बुलाना चाहो, सोच लो मगर दिली प्यार से
हम है बिछाए नजरे, कुबुल कर लो हेत से
मन से मिले है दोनो नजरें आजमालो मित से

तुम ने माँगा हम ने चाहा, मिल गया एक रास्ता
अब तो जो भी होगा बस प्यार का है वास्ता
आसमान तले हम विचरेंगे, क्या क्या सपने संजोएगे
कभी ना हॉगा दुःख हमको, यदि अलग होना पडेगा वियोगे

येही है जीवन येही है आरज़ू
आप हो कायल हमारे, फिर भी इतने समझू
हर दिल यही दुवा करे, मिल जाए एक साथी
कहलायेगा किसमत का धनी और बडभागी

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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