धरोहरdharohar Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

धरोहरdharohar

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धरोहर

Friday, May 25,2018
3: 32 PM

दिल ने नहीं पूछा
मैंने जानकर पुछा
कहाँ गए वो दिन?
थे तो सिर्फ इन, मीन ओर तीन

पर थी सुनहरी यादें
किये थे बहुत से वादे
बहुत हुई थी मुलाकातें
प्यार से की थी बातें।

वो सब हवा हो गया
देखते देखते सब गायब हो गया
पवन का झोका ऐसे आया
उड़ाके सब साथ ले गया।

हमारे पास बस अब मीठी यादें रह गई
कहने को कुछ भी नहीं, फिर भी घर कर गई
पर हमारी वो एक तमन्ना भी तो थी
भले ही यादे बन गई, पर मेरी अपनी तो थी।

हम नाही रोते है
और नाही सोते है
बस उसके बारे मैं जरूर सोचते है
और मन ही मन कहते रहते है।

यादे अपने आप में ऐक धरोहर होती है
जोसुन्दर और मनोहर भी होती है
हमारा अपना फर्ज बनता है की हम उसका ध्यान रखे
जब अकेले में बैठे हो तो बीती पल का स्वाद चखें।

हसमुख अमथालाल मेहता

Friday, May 25, 2018
Topic(s) of this poem: poem
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यादे अपने आप में ऐक धरोहर होती है जोसुन्दर और मनोहर भी होती है हमारा अपना फर्ज बनता है की हम उसका ध्यान रखे जब अकेले में बैठे हो तो बीती पल का स्वाद चखें। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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