दिल का सन्देश Dil Kaa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

दिल का सन्देश Dil Kaa

Rating: 5.0

दिल का सन्देश

कहीं दीप जले
कहीं अंतर मन मिलें
दुआओँ का हो आदानप्रदान
यही तो है जीवन का घ्यान

जला ओ खूब सारे दीप
उसमे मिलाओ खुश्बु की धुप
देखो फिर कैसे जाता है है उसका सन्देश
भले फिर कोई कोना रहता हो विदेश।

यही है हमारी सभ्यता
और दिखाते है मानवता
प्यार में जल जाना हमने सीखा है
दूसरों को रास्ता दिखाना, यही हमने माना है।

हम ना करेंगे किसी के दिलपर चोट
भले ही समंदर में आ जाय ओट
दिल चाहता ही रहेगा
दुआ ही देता रहेगा।

प्यार का दौर सदा चलता रहे
युवा दिल यूँही मिलता रहे
हमारा यही सौभाग्य है
इसी में ही तो जीवन की खुश्बु है।

प्यार का कोई छोर नहीं
हो जाय तो कोई शोर नहीं
बस भले ही मचलता रहे!
दिल का सन्देश सुनाता रहे।

दिल का सन्देश Dil Kaa
Tuesday, April 24, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 24 April 2018

प्यार का कोई छोर नहीं हो जाय तो कोई शोर नहीं बस भले ही मचलता रहे! दिल का सन्देश सुनाता रहे।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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