दिल के तो है अमीर Dil Ke Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

दिल के तो है अमीर Dil Ke

दिल के तो है अमीर

दिल पसीज जाता है
जब मौक़ा सामने आता है
ये आँखे मजबूर कर देती है
जब सामना हो जाता है।

उस समंदर में तैरने का मन करता है
लहरों पर उठकर पटकाने का दिल करता है
टीस सी उठती है और हैरान कर जाती है
बस तू एक ही तो है जो परेशान करती रहती है।

नहीं चाहा मन को ज्यादा कुरेद ना
कभी बही चाहा फरेब करना
बस युही दिल के झरोखे से झाँक लिया
और अपने सिंहासन पर आरूढ़ कर दिया।

दिल है की मानता ही नहीं
शक्ल भी बराबर याद नहीं
फिर भी परेशान करती रहती है
मेरे दिल को बाग़ बाग़ कर देतीं है।

नहीं चाहता मैं वो भी ऐसा महसूस करे
पर दिल की लगी को कौन मायूस करे
हम है एक नाचीज़ इंसान जो कदर करते है
सब को अपना समजकर आदर देते है।

तुम न भी कह दो ना धीरे से
ना रखो कोई भी परहेज हमसे
हम पैसेवाले इतने ना सही
पर दिल के तो है अमीर सही।

दिल के तो है अमीर  Dil Ke
Friday, March 17, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 19 March 2017

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Mehta Hasmukh Amathalal 19 March 2017

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Mehta Hasmukh Amathalal 19 March 2017

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Mehta Hasmukh Amathalal 17 March 2017

दिल पसीज जाता है जब मौक़ा सामने आता है ये आँखे मजबूर कर देती है जब सामना हो जाता है।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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