दिल की बात जरूर...Dil Ki Baat Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

दिल की बात जरूर...Dil Ki Baat

दिल की बात जरूर

हंसकर बात नहीं बनती
कुछ बोलो तो में जान सकती
बोलने को जी चाहा
पर आपने कुछ नहीं कहा।

निगाहें गड़ाई और बंध कर ली
पर उसने तो चुपचाप कुछ बात कर ली
मन चाहा उड़कर जाने को
और दिल की बात बताने को।

दिल ने कहा ': उड़ ले धीरे से ':
बोल दे अंतर मन से
वो जरूर पहुंचेगी उन तक
आप रहेगी शांत और मूक।

बता जरूर देना मन की बात
कह भी देना जब मन हो शांत
जरूर बढेगी बात कुछ आगे
जब वो आपका हाथ थामेंगे।

दिल में उठा चक्रवात थमेगा
दिल के एक हिस्से को रास आएगा
चेहरा हंसी ख़ुशी से भर जाएगा
फिर अपने दिल की बात जरूर कह पायेगा।

दिल की बात जरूर...Dil Ki Baat
Sunday, December 11, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 11 December 2016

Sam Bajwa Bohat khoob Unlike · Reply · 1 · 13 mins today by

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Mehta Hasmukh Amathalal 11 December 2016

x welcome sam bajwa Unlike · Reply · 1 · Just now today by

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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