दिल की बात जरूर
हंसकर बात नहीं बनती
कुछ बोलो तो में जान सकती
बोलने को जी चाहा
पर आपने कुछ नहीं कहा।
निगाहें गड़ाई और बंध कर ली
पर उसने तो चुपचाप कुछ बात कर ली
मन चाहा उड़कर जाने को
और दिल की बात बताने को।
दिल ने कहा ': उड़ ले धीरे से ':
बोल दे अंतर मन से
वो जरूर पहुंचेगी उन तक
आप रहेगी शांत और मूक।
बता जरूर देना मन की बात
कह भी देना जब मन हो शांत
जरूर बढेगी बात कुछ आगे
जब वो आपका हाथ थामेंगे।
दिल में उठा चक्रवात थमेगा
दिल के एक हिस्से को रास आएगा
चेहरा हंसी ख़ुशी से भर जाएगा
फिर अपने दिल की बात जरूर कह पायेगा।
x welcome sam bajwa Unlike · Reply · 1 · Just now today by
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
Sam Bajwa Bohat khoob Unlike · Reply · 1 · 13 mins today by