दिल तो मेरा भी Dil To Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

दिल तो मेरा भी Dil To

दिल तो मेरा भी


बात तो हम कर लेते है
पर जान भी लेते है
वो कीतने पानी में है
मेरे लायक है की नहीं है।

फिर भी मना नहीं करता
सब को गले लगाता
जहाँ जरुरत हो वहां डांट भी मारता
पर जरूतमंद को मदद भी पहुंचाता।

यही मेरी तमन्ना रही है
सब को साथ लेकर चलने की ख्वाहिश रही है
ना जाने कौन कीस पल मदद में आ जाये
मेरी डूबती नैया को पार लगा जाय।

न मुझे गुमान है और नाही कोई शान
बस मिल जाए थोडा सा सन्मान
प्रशस्ति से मुझे नफरत है और गृणा
पर में कैसे करू सब को ऊपर से मना?

अपाहिज और अशक्त मेरे भगवान् है
नरनारायण और साक्षात् देदीप्यमान है
मुझे उनके चेहरे पर दरिद्रता तो दिखाई देती है
पर उनके सिवा किस के पास दुआएं मिलती है।

क्या है मेरा वजूद इस दुनिया में आजतक ?
कोई आया है तो कोई जाता है पर रुकता है कबतक?
दिल तो मेरा भी करता रहता है धकधक
खून बहता रहता है रुक रुक।

(C) @ Hasmukh Mehta

दिल तो मेरा भी Dil To
Monday, February 20, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 20 February 2017

क्या है मेरा वजूद इस दुनिया में आजतक ? कोई आया है तो कोई जाता है पर रुकता है कबतक? दिल तो मेरा भी करता रहता है धकधक खून बहता रहता है रुक रुक। (C) @ Hasmukh Mehta

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success