दिल तो मेरा भी
बात तो हम कर लेते है
पर जान भी लेते है
वो कीतने पानी में है
मेरे लायक है की नहीं है।
फिर भी मना नहीं करता
सब को गले लगाता
जहाँ जरुरत हो वहां डांट भी मारता
पर जरूतमंद को मदद भी पहुंचाता।
यही मेरी तमन्ना रही है
सब को साथ लेकर चलने की ख्वाहिश रही है
ना जाने कौन कीस पल मदद में आ जाये
मेरी डूबती नैया को पार लगा जाय।
न मुझे गुमान है और नाही कोई शान
बस मिल जाए थोडा सा सन्मान
प्रशस्ति से मुझे नफरत है और गृणा
पर में कैसे करू सब को ऊपर से मना?
अपाहिज और अशक्त मेरे भगवान् है
नरनारायण और साक्षात् देदीप्यमान है
मुझे उनके चेहरे पर दरिद्रता तो दिखाई देती है
पर उनके सिवा किस के पास दुआएं मिलती है।
क्या है मेरा वजूद इस दुनिया में आजतक ?
कोई आया है तो कोई जाता है पर रुकता है कबतक?
दिल तो मेरा भी करता रहता है धकधक
खून बहता रहता है रुक रुक।
(C) @ Hasmukh Mehta
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क्या है मेरा वजूद इस दुनिया में आजतक ? कोई आया है तो कोई जाता है पर रुकता है कबतक? दिल तो मेरा भी करता रहता है धकधक खून बहता रहता है रुक रुक। (C) @ Hasmukh Mehta