दोस्ती बस
शनिवार, १७ नवंबर २०१८
ये दुश्मनी बिच में कहाँ से आ गई
मुजेखामखा हैरान कर गई
न कभी सोचा ना कभी समजा
मन ने इतना ही सोचा "बस आगे बढ़ जा "
गैरो से हम दिली
बस हमें तो यही विरासत मिली
बस दिखाई खेलदिली
और बदले में अपने आप मिली।
दोस्ती बस जैसे दूध में साक़र मिल गई
दूध भी नहीं ढला और मीठा कर गई
अटूट सा बंधन बना गई
दिल में बस एक होकर समा गई।
बस एक ही प्रार्थना
कभी ना करना
नाही तो दिल दुखाना
और नाही खटाश ला देना।
प्रेम का रंग फीका ना पड जाए
दुश्मनी का जहर उसमे ना मिल जाए
दोस्ती की मस्ती कायम रहे
हम एक दूसरे से मिलते रहे।
खुदा ना करे खास्ता
प्रेम ना हो जाय सस्ता
मिलते रहे हम सदा
और निभाए अपना वादा।
हस्मुख अमथालाल मेहता
खुदा ना करे खास्ता प्रेम ना हो जाय सस्ता मिलते रहे हम सदा और निभाए अपना वादा। हस्मुख अमथालाल मेहता
खुदा ना करे खास्ता प्रेम ना हो जाय सस्ता मिलते रहे हम सदा और निभाए अपना वादा। हस्मुख अमथालाल मेहता
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