दुलारा
सोमवार, २६ नवम्बर २०१८
माँका भी वो दुलारा
अपनी आँखों का तारा
लगे संसार का सुख सारा
माँ ने प्रेम से पुकारा।
उसको ना कोई सहारा
लगा जग से भी प्यारा
सुख को हाथ लगा किनारा
जब बच्चों ने उसे पुकारा।
उसे सब का सुख मिले
सब आके गले से मिले
दूसरे का दुःख अपना बना ले
माँ चिंता ओर कोई ना झेले।
मन में बस एक ही इच्छा
सब रहे सुख से अच्छा
ना करे कभी कोई पृच्छा
फलीभूत हो जाए महेच्छा।
किसी की ना लगे नजर
भले ही जीना हो जाए दूभर
प्रभु यही है हमारी विनती
सभी को में प्रेम से मिलती।
हसमुख मेहता
किसी की ना लगे नजर भले ही जीना हो जाए दूभर प्रभु यही है हमारी विनती सभी को में प्रेम से मिलती। हसमुख मेहता
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Affection son of mother is the star of eyes of the same mother. An interesting poem is beautifully penned about affection...10