दूरंदेशी का अभाव
सोमवार, ८ अक्टूबर २०१८
हम नहीं सुधरेंगे
बस चलते ही रहेंगे
उसी पथपर जहा हमे ख़ुशी मिलती है
जीने की नयी राह मिलती है।
हम चाहते है "रात में ही कायापलट हो जाए "
सब चीज़ सरलता से हमारे पास आ जाए
कोई चीज की कमी हमें दुखी ना करे
हमें ऐश्वर्य के सभी साधन प्राप्त हो।
हमारे पुरखे मेहनत कर कर के मर गए
बस गरीबाई में ही जीते गए
दो वक्त की रोटी और शादी ब्याह
उसके आगे ना कोई सोच बस सिर्फ"आह"
हम कम मेंहनत में ज्यादा चाहते है
जीवन में सपनो को खूब संजोते है
दिनरात उसकी कल्पना करते रहते है
सपने कैसे हकीकत में बदले उसकी कल्पना करते है।
पर कुछ बात तो है
हमारे में दूरंदेशी का अभाव है
हम हड़बड़ी में काम करते है
विपदा आनेपर गभरा जाते है।
हमारे में धीरज तो आएगी
पर ठोकर लगने के बाद आएगी
तब तक तो बहुत देर हो चुकी होगी
उसकी भरपाई करते करते रात बहुत बीत चुकी होगी।
हसमुख अमथालाल मेहता
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हमारे में धीरज तो आएगी पर ठोकर लगने के बाद आएगी तब तक तो बहुत देर हो चुकी होगी उसकी भरपाई करते करते रात बहुत बीत चुकी होगी। हसमुख अमथालाल मेहता