दुरी ना रखो
बुधवार, १९ सितम्बर २०१८
हम से दुरी ना रखो
दोस्ती को नजदीक से परखो
यह तो ईश्वर को देन है
इस से मिलता चेन है।
प्रेम से बनता सेतु
बर आ जाता अपना हेतु
जीवन की मंझिल पास आ जाती
दूरियां नजदीकियां हो जाती।
इश्क को बताता नहीं
और मन में भी रख पाता नहीं
प्रेम इम्तेहान लेता है
फिर साफ़ शब्दों में कहता है।
पतझड़ में वो उझडता है
सावन में फिर बहार ला देता है
वादा क्या है तो मुकरना नहीं है
सावन चला जाय तो फिर रोना नहीं है।
प्यार को आजतक कोई नहीं समझा
बस उसमे रह गया उलझा
होता रहता है जीवन में हादसा
बस हम लेते है उसे सहसा।
प्यार करने वाले नहीं सोचते
बस मन ही मन सोचते
जुबान को अपनी नहीं खोलते
बस मन ही मन उसका भला ही सोचते।
हसमुख अमथालाल मेहता
welcome S.r. Chandrslekha 63 mutual friends Message
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प्यार करने वाले नहीं सोचते बस मन ही मन सोचते जुबान को अपनी नहीं खोलते बस मन ही मन उसका भला ही सोचते। हसमुख अमथालाल मेहता
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Sanjay Pansare 1 Manage Like · Reply · 6h