दूसरी संस्कृति
नारी तू अब सन्नारी नहीं रह गयी
मौत की परछाई तेरे पर छा गयी
तू एक खिलोना मात्र बनकर रह गयी
मानवीयता शर्मसार बनकर बोज बन गयी
कली भी नहीं, बस छोटी सी बच्ची
नासमज और हंसती खेलती और दमकती
पता नहीं कैसे दिल मानता होगा?
दिल जरूर से शैतानका और अमानवीय होगा।
क्या ललचाता होगा कुकर्म करने को?
तैयार भी है मरने को ओर सजा भुगतने को
आप पड़ोस में भी बच्चे को भेज नहीं सकते!
बुड्ढे और बुजुर्ग भी अपने आपको कुकर्म से नहीं रोकते।
घर में घुसकर अत्याचार
हत्या करके फिर हाहाकार
चेहरे को जला देना और मारकर फेंक देना
भगवान हम क्या कहे' ऐसी संतान कभी ना देना'
क्या यह पानी का फर्क है?
या धरती का जो नरक बनी है
ना किसी को डर है कुदरत का
और नाही समाज की नफरत का।
कल मैंने देखा एक मनचलेको मार खाते हुए
चप्पल की मार और उपरसे घूंस खाए हुए
अब अब समय आ गया है कानून से ऊपर उठनेको
कोईभी हो उसे मिजाज दिखाने और सबक सिखाने को
मारो सरेआम दरिंदो को यदि पकड़ा जाय
वो मर ना जाय तब तक उसकी धुलाई की जाय
कभी ना करे जिंदगी में आँख उठाकर देखने की हिम्मत
तब उन्हें समाज में आएगी नारी शक्ति की ताकत।
करा दो गधे पर सवारी और पोत दो मुह पे कालिख
उसे भी शर्म लगे की उसकी हरकत थी एक बालिश
नाही उसे अब जीने का हक़ है ना समाज में घूमने का
बस बचा है एक सिर्फ 'जुलूसे गधे पर सवारी करने का'
हम भारतीय होने का दावा नहीं कर सकते
परदेस मेहमान जो यहां आते है उसे भी नहीं बक्शते
शर्मनाक हरकत के लिए मानो मजबूरन उकसा रही है
मानो दूसरी संस्कृति हमारे पर पूरी हावी हो गयी है
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Manju Gupta maanviy samvedansheeltaa ko jaagrat karti ek marmsparshi aur sandesh pradaayak rachna 12 hrs · Unlike · 1
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Shujat Ahmad likes this. Hasmukh Mehta welcome Just now · Unlike · 1