फ़तेह तो होके रहेगी...F Ateh Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

फ़तेह तो होके रहेगी...F Ateh

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फ़तेह तो होके रहेगी

शुक्रवार, १७ अगस्त २०१८

नहीं जानता मैं कोई कारण
लोग क्यों केहते रहते है अकारण
जहर का मारण है जहर
यहां मुर्दों का है शहर।

बीना वजह जान ले लेते है
अपने को ही पराया कर देते है
बगल में छुरी और रामराम जपते है
हर सांस में दूसरे को जताते है।

प्यार के प्रहरी बने बैठे है
अपना ही रूतबा दूसरों पर थोक बैठे है
ना जाने इनकी अक्कल कब ठिकाने आएगी?
कब तक मानवता को रुलाती रहेगी।

मेरा अपना कोई वजूद नहीं
अपने को मैं खुद जानता नहीं
मैं निकल पडा हु खुदा को ढूंढ़ ने के लिए
रास्ता मुजे मिलता नहीं।कोई तो बताए मेरे लिए।

नगर नगर, गाँव गाँव
नहीं टिकते मेरे पाँव
क्या होगा मेरा दुसरा दांव?
आकाश में कौए करते रहते है कांव कांव।

फिर भी मुझे विश्वास है
जबतक सांस में सांस है
आस मैंने नहीं छोड़ी है
जिंदगी को मैंने नहीं तरछोडी है।

प्यार ही तो है मेरा जज्बा
मैं रखूंगा कायम उसका रूतबा
भले ही कोई जारी कर दे फतवा
फ़तेह तो होके रहेगी जब होगा मिलनवा।

हसमुख अमथालाल मेहता

फ़तेह तो होके रहेगी...F Ateh
Friday, August 17, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 17 August 2018

welcome S.r. Chandrslekha 62 mutual friends Message

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Mehta Hasmukh Amathalal 17 August 2018

welcome Manisha Mehta 35 mutual friends Message

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Mehta Hasmukh Amathalal 17 August 2018

welcome imposible Posible 5 mutual friends Message

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Mehta Hasmukh Amathalal 17 August 2018

welcome Сиддхарт Путин 5 mutual friends

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Mehta Hasmukh Amathalal 17 August 2018

प्यार ही तो है मेरा जज्बा मैं रखूंगा कायम उसका रूतबा भले ही कोई जारी कर दे फतवा फ़तेह तो होके रहेगी जब होगा मिलनवा। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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