फलसफा प्यार का..Falsafa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

फलसफा प्यार का..Falsafa

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फलसफा प्यार का

गुरुवार, १६ अगस्त २०१८

प्यार का लब्ज
खून दौड़ने लगता है नब्ज़
थोडी सी भी सुनने में आए आवाज
हो जाता है आने का आगाज।

प्यार को समझो और जानो
अपने दिल को मनालो
यही है जिंदगी
यही है बंदगी।

प्यार का नहीं होता कोई फलसफा
बस कोई ना बने बेवफ़ा
वफ़ा का ही प्रदर्शन हो
अन्तर्मन से सही दर्शन हो।

यह एक गहन विचार है
पुरे शब्द का सार है
समंदर जैसा गहरा होता है
वैसे ही प्यार का मतलब होता हैं।

प्यार इबादत ही है
ईश्वर तक पहुँचने की सवलत है
दिल से जैसी भी चाहो और मानो
बस उसके करीब ही पालो।

प्यार में संसार समाया हुआ है
सब ने अपने को उसमे ढाया हुआ है
प्रेमपर प्रभु का साया है
लोग उसमे हमसाया पाते है।

हसमुख अमथालाल मेहेता

फलसफा प्यार का..Falsafa
Thursday, August 16, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 16 August 2018

welcome n k sharma

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Mehta Hasmukh Amathalal 16 August 2018

Nk Sharma Nk Sharma Thanks for the compliment. 1 Manage Like · Reply · 1m

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Mehta Hasmukh Amathalal 16 August 2018

प्यार में संसार समाया हुआ है सब ने अपने को उसमे ढाया हुआ है प्रेमपर प्रभु का साया है लोग उसमे हमसाया पाते है। हसमुख अमथालाल मेहेता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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