फलसफा
नहीं होना खफा
और कभी ना होना बेवफ़ा
जीवन का कुछ अलग से रखना फलसफा
मन में कुछ अलग सी सोच आ जाएतो कर देना दफ़ा.
एक ही तो मिला वरदान
जीवन का अभयदान
भय का ना हो नामोनिशान
बस बल के रहो सादे इंसान।
हमने बसर करना है
हमने कर गुजरना है
जिम्मेवारी हमारी है
जिंदगी दुलारी है।
दुश्वार होगी फिर भी हमारी
खुशगवार गुजरेगी तो किस्मत हमारी
पर हमारी कोई शिकायत ना होगी
जैसी भी होगी हमारी अपनी होगी।
हमने देखी है धूपछांव
देखा है उसका छलावा और दांव
पर हम नहीं हारेंगे जब तक चलेंगे हाथपॉव
हमने खूब देखा है नदीका बहाव।
ना लेना हमारा इम्तेहान
हम नहीं है परेशान
बस शांन्ति से जिंदगी बसर करने देना
कुछ खराब हरकत या अनहोनी ना होने देना।
हम ठहरे अदना इन्सान
करते है सब का अभिवादन
अपने जीवन से खुश और है उसका गुमान
हम जियेंगे और जीने देंगे और रखेंगे सबको समान।
Balika Sengupta बहुत ही सुंदर कविता । Like · Reply · 1 · 1 hr
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welcome manisha mehta Like