फिर क्यों हों कड़वाहट
मैंने सोचा ' पल बस सम्हल जाय'
तो जीवन सार्थक हो जाय
वरना सम्बन्ध में तिराड़ कभी भी आ सकती है
बरसों की मेहनत मिटटी में मिल सकती है।
में हो जाऊं धन्य
यदि कर सकूँ काम अन्य
दुसरोंके प्रति मेरा अच्छा भाव बना रहे
ह्रदय में पवित्र और पावन झरना बहता रहे।
दूध फटकर दही बन जाएगा
यदि एक बून्द भी निम्बू का गिर जाएगा
जिंदगी में खटाश को बिलकुल ना आने दो
समय के पहले उसको ना मिटने दो।
मन में भले कोई आस ना हो
लेने का बिलकुल आभास तक ना हो
निर्मल भाव से रिश्ते बने रहे
जैसे निर्जल जल शांति से बहता रहे।
मेरी और क्या मनसा हो सकती है?
रहना साथ में है तो ऐसी सोच क्यों हो सकती है?
ना कर सकूँ बेहतर रिश्ते अपनी सोच के मुताबिक
फिर क्यों हों कड़वाहट और रोज की टिकटिक।
welcome zeeshan shamsi Unlike · Reply · 1 · Just now 8 hours ago
x welcome manoj gandhi Unlike · Reply · 1 · Just now today by
welcome tarun Unlike · Reply · 1 · Just now 8 hours ago
welcomeabhi somvanshi Unlike · Reply · 1 · Just now today b
welcome Rajesh Labana Unlike · Reply · 1 · Just now
kavi mansingh madhav Unlike · Reply · 1 · Just now
Pallavi Shrivastava निर्मल भाव से रिश्ते बने रहें, जैसे निर्मल जल शान्ति से बहता रहे! See Translation Unlike · Reply · 1 · 3 hrs
welcome malu mahesh Unlike · Reply · 1 · Just now 1 Nov by
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x kiran saini Unlike · Reply · 1 · Just now 8 hours ago