आली जनाब आप के आने का शुक्रया
खुशयों की दिया घर में जलाने का शुक्रया
नितीश बाबु आप से जनता है कह रही
वादे, इरादे, निश्चय निभाने का शुक्रया
कांटों को दूर करदिया खिलते गुलाब से
मुक्ति दिलादी आप ने दारु, शराब से
हर घर में बिजली आगई, शौचालय बनरहा
पक्की सड़क ये नाले बनाने का शुक्रया
शिक्छित समाज और महिला सशक्त हो
यूवा पढ़े आगे बढ़े भय की शिकस्त हो
मुरझाए पेड़, पौधे थे शादाब होगए
प्यासे को बढ़ के पानी पिलाने का शुक्रया
गोविन्द, महावीर, मौर्या, बौद्ध की धरती
आर्यभट, अशोक की चाणक्य की धरती
तुझ पे है फख्र करती ये जे.पी की सरज़मीं
इस सरज़मीं की शान बढ़ाने का शुक्रया
जुमले नहीं अवाम को बस काम चाहिए
जम्हूरियत को तुमसा निगहबान चाहिए
सदभाव के मसीहा तरक़्क़ी पसंद आप
जनता का साथ दिल से निभाने का शुक्रया
By: नादिर हसनैन
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