Geet Gaya Jangal Ne (Hindi)गीत गाया जंगल ने Poem by S.D. TIWARI

Geet Gaya Jangal Ne (Hindi)गीत गाया जंगल ने

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गीत गाया जंगल ने

तुम हमारेबनो, हम तुम्हारे बनें।
एक दूजे के चलो, हम दुलारे बनें।

जीने दोगे अगर, फल देंगेतुम्हें।
छाया भी साथ, शीतल देंगे तुम्हें।
आज की चांदी में, छीन लेते हो कल,
रहेंगे बचे, स्वर्णिम पल देंगे तुम्हें।
चलो मिल के जीवों के सहारे बनें।
एक दूजे के चलो...

हेतु अपने घर उनका उजाड़ो नहीं।
वन से बाहर, बन केहर दहाड़ो नहीं।
जीव जाकर रहेंगे, घर तुम्हारे कहो?
जंगलों को चुरा, रुतबा झाड़ो नहीं।
आपस की सुरक्षा के सितारे बनें।
एक दूजे के चलो...

धरा हमारी भी माँ है, सजाते हम्हीं।
हम वन हैं, हवा शुद्ध, बनाते हम्हीं।
बरस पाते तभी हैं, वो तुम्हारे लिए,
बादलों की भी प्यास बुझाते हम्हीं।
बिन हमारे, न हो बच्चे बेचारे बनें।
एक दूजे के चलो...


- एस० डी० तिवारी

Saturday, March 24, 2018
Topic(s) of this poem: inspiration,nature
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 24 March 2018

मनुष्य के लिए वृक्षों और वनों की अनिवार्यता को रेखांकित करती इस सुन्दर कविता के लिए धन्यवाद, बंधु.

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Kumarmani Mahakul 24 March 2018

चलो मिल के जीवों के सहारे बनें। एक दूजे के चलो.........nice theme. Beautiful poem shared amazingly. Thanks for sharing.

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