हाथ पकड़कर
गुरुवार, २७ दिसंबर २0१८
तूफ़ान आए या ना आए
पर समज में तो कुछ आए
की माजरा क्या है?
प्यार व्यार क्या है?
साथ देने का तो वादा करते हो
पर मुकर भी तो जाते हो
बुलाने पर भी नहीं आते
ओर आते हो तो मुंह लटकाके आते।
हम अंदाजा नहीं लगा सकते
की तुम तैर भी सकते
या नहीं आगे बढ़ सकते
रोज रोज हमें यूँही भरोसा दिलाते।
जरुरी है जानना
और दिल को मनाना
हाथ तो पकड लेते हौ
पर छटपटा जाते हो।
थोडासा भरोसा हमें दिला दो
हमारे दिल को सुकून दे दो
तभी हम मानेंगे
और साथ चलने को तैयार होंगे।
हसमुख मेहता
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थोडासा भरोसा हमें दिला दो हमारे दिल को सुकून दे दो तभी हम मानेंगे और साथ चलने को तैयार होंगे। हसमुख मेहता