हजारो गिद्ध Hajaaro Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

हजारो गिद्ध Hajaaro

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हजारो गिद्ध

रविवार, १० जून २०१८

देश का भविष्य तो उज्जवल ही है
हमारा प्रधानमंत्री अव्वल है
इनका बस चले तो ए देश को भी बेच दे
प्रधानमंत्री की जान भी ले ले।

इनका ईमान गरते में चला गया है
सब बेईमान इकठ्ठा हो गया है
सभी को अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है
ऐसा थोड़े दिन और चला तो उनकी दूकान बांध हो जा तय है।

ये लोग कुछ भी कर सकते है
दुश्मन देश में जाकर गुहार लगा सकते है
देश की अर्थव्यवस्था को तहसनहस कर सकते है
देश में चारोओर आगजनी और रास्ता रोकों से कायदा कानुन को तोड़ सकते है।

थोड़ा सबुरी को रखना है
बकरी को निकालकर ऊंट को दावत देना अक्लमंदी नहीं है
देश को इन्होने हजारो साल लुंटा है
इनका खुद का पैदा किया हुआ टंटा है।

हजारों गिद्ध टापकर बैठे है नोचने के लिए
थोड़ी सी आपकी चूक घातक है देश के लिए
यह फिर अपना " पंजा " फैलाएंगे घुस लेने के लिए
आप फिर कोसेंगे हम ने ये क्या किया अपने वतन के लिए।

सोचो! देश को जाती, रंग और दुसरे भाग ने ना बांटो
दिखा दो अपना कौशल और इस्तेमाल करो वीटो
देश में खुशहाली लाना आपके हाथ में है
" दिखा दो बाहर का रास्ता " यह विवेक तो आपमें जरूर से है।

हसमुख अमथालाल मेहता

हजारो गिद्ध Hajaaro
Friday, June 22, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

welcome sanjay kumar k chavda 1 Manage Like · Reply · 9m

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सोचो! देश को जाती, रंग और दुसरे भाग ने ना बांटो दिखा दो अपना कौशल और इस्तेमाल करो वीटो देश में खुशहाली लाना आपके हाथ में है दिखा दो बाहर का रास्ता यह विवेक तो आपमें जरूर से है। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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