बिल्कुल हाजिर है...Hajir Hai Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

बिल्कुल हाजिर है...Hajir Hai

बिल्कुल हाजिर है

में चला गोरी के गांव
पर सेहमे सेहमे से है पाँव
वो तो चले गए बिन बताएं
बस थोडा सा प्यार जताए।

हम भी वाकिफ थे उनके ख़्याल से
वो दिख रहे थे रूठे रूठे से
कुछ केहना चाहते थे, पर कह नहीं पाये
लम्बी सी सांसे ली फिर धीरे से चल दिये।

हमने भी सोचा 'मुलाकात कर लेंगे'
उनको भी थोड़ा चेन से बेठने देंगे
अभी चोटगहरी है, धीरे से समल जाएंगे
अपने बारे मे सोचकर जरूर बताएँगे।

हमने तो खयाली पुलाव पकाए
पर बढ़ गयी बहुत सारी चिंताएं
मुझे अब थोडा सा एह्सास होने लगा है
थोड़ा सा अपनापन लगने लगा है

हमने अब ठान ली है
उनको कहने की पूरी तैयारी करली है
में कहूँगा' आप जीवन साथी बनने तैयार है'
बंदा आपके सामने बिल्कुल हाजिर है

बिल्कुल हाजिर है...Hajir Hai
Monday, February 8, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 08 February 2016

अब ठान ली है उनको कहने की पूरी तैयारी करली है में कहूँगा आप जीवन साथी बनने तैयार है बंदा आपके सामने बिल्कुल हाजिर है

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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