हम भी उड ले
ना करना मुझे आहत
मुझ में कितनी है चाहत!
में जी नही पाउँगा
ऐसे ही जान गँवा दूंगा।
अनजाने में प्यार हो गया
और सर पर सवार हो गया
अब वो बोली प्यार की ही बोलता है
बस चाहत में चुप ही रहता है।
मेरी एक ही है आरज़ू
और झुस्त्झु
ना कोई है इच्छा
बस करता हूँ दिल से पृच्छा।
एक ही जान
पर ना कोई पहचान
फिर भी दिल बनाता है एक घोंसला
क्यों हो इसी बिच कोई भी फासला।
अब ना होगा कोई अंदेशा
बस भेजो कोई संदेशा
हम भी उड ले थोडी खुली हवा में
पंख फैला दे बेपरवा में।
Poetry n Art Waah....... [3 Like · Reply · Just now
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अब ना होगा कोई अंदेशा बस भेजो कोई संदेशा हम भी उड ले थोडी खुली हवा में पंख फैला दे बेपरवा में।
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