हमारा आधार
शनिवार, २१ अगस्त २०२१
हमारे एक ही हो आधार
बहते रहो नदिया की धार
ना रुको बीच, बनाओ निराधार
हमतो है बिच मझधार।
टकटकी लगाए बैठे है
आँखों में आंसू रुके है
एक जलक तो दिखाओ ना
मासूम चेहरेपर मुस्कान तो लाओ ना।
प्यार ना बने हमारा दुश्मन
मिलने को आओ ओ जानेमन
ना तन है काबू में और नाही मन
ना रखो दिल में ऐसी अनबन।
हम तो दिल दे चुके
रखे आँखे हमेशा जुके
लादो खुशियां अँखियाँ मिलाके
रखो हमेशा हमें सम्हालके।
प्यार का यही तो है आलम
नही होता दिल का समागम
लगा रहता हमेशा बिछडने का गम
प्यार बेहता रहे तो आबाद बने
रुक जाए तो बर्बाद करे
अनादर करे तो शर्मिंदगी लाए
छोड़ दे बीचमे तो ल्यानत लाए।
डॉ हसमुख मेहता
साहित्यिकी
Reply · 2 h Omanakuttan Suresh So beautiful........ · Reply · 53 m
welcome.. Author Hasmikh Mehta welcome..Robert Taylor
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· 2 h Omanakuttan Suresh So beautiful........ · Reply · 53 m