हमारी मौजूदगी... Hamari Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

हमारी मौजूदगी... Hamari

Rating: 5.0

हमारी मौजूदगी

Saturday, May 5,2018
8: 12 AM

में झुमु मस्त होकर
तेरा प्यार पाकर
कहीं किसी की नजर ना लग जाए
ओर हमारी मस्ती में भंग नापड जाए।

हर सुबह नया संदेशा लाती है
हमारे लिए अमन का पैगाम लती है
हम खुश रह सकेंगे
और अपने को आबाद करते रहेंगे।

मेरी हाम में हां मिला दो
मस्ती का आगाह होने दो
लोगों को अपने प्यार का आभासहोने दो
उनको भी अपनी नजरों से देखने दो।

कौन कहता है?
प्यार एक अजूबा है
यह तो सब में विद्यमान है
प्रकृति का वरदान है।

हम तो है परिंदे
बस आवाज ही तो देते
प्यार का पैगाम भी देते
चांच में चांच मिलाकर आकाश की और देखते।

हमारा प्यार आकाश की है देन
जब बारिश कर देता रेलमछेल
हम झूम उठते और गाते
हमारी मौजूदगी सब को बताते।

हमारी मौजूदगी... Hamari
Friday, May 4, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

V gud nice poem written on d theme of these birds who love each other.. roma kaur

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हमारा प्यार आकाश की है देन जब बारिश कर देता रेलमछेल हम झूम उठते और गाते हमारी मौजूदगी सब को बताते। Hasmukh Amathalal

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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