हमसाया
सोमवार, ३ दिसंबर २०१८
नहीं है मन में कोई गीला
"कोई मिला था कोई ना मिला"
मैं तो समजता रहा जग सारा
और लोग भी है मेरा सहारा।
वो आज नहीं तो कल समझेंगे
पराए भी अपने हो केरहेंगे
सब मौके की तलाश में ही होंगे
मेरे भरोसे के काबिल ही होंगे।
मैंने चाहा"सबको सुख"ही मिले
भले होने का अच्छा फल ही मिले
किसी के दिल में बुरी भावना ना हो
बस यही दिली तमन्ना भी हो।
जीवन का फलसफा क्या हो?
सब को अमन से प्यार हो
कोई अनबन ना हो, बस भाईचारा हो
दिल में सही भावना, विचार अच्छा हो।
मुझे मिलता शुकुन
जब लगता अपनापन
ना हो कोई पराया
बस बन के रहे हमसाया।
हसमुख मेहता
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