बैठें हैं दूर तुमसे (In Hindi) Poem by Tribhawan Kaul

बैठें हैं दूर तुमसे (In Hindi)

बैठें हैं दूर तुमसे
करके तुमसे किनारा
किश्ती में बैठ गए हैं
साहिल का ले सहारा.

खेता हूँ नाव अपनी
यादों के चप्पुओं से
लहरों से खेलता हूँ
लहरों का ले सहारा.

ले जा रही है किस्मत
मुझको खबर नहीं है
मंजिल मेरी वहीँ है
चमके जहाँ सितारा.

नैया भूली भटकी
भंवर में फंस गयी है
निकलू वहां से कैसे
गहरी नदी की धारा.

खो जाऊं गर कहीं मैं
कोशिश तुम एक करना
मोती को ढूंढना तुम
सीपों का हो बहाना.
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल

बैठें हैं दूर तुमसे (In Hindi)
Wednesday, June 7, 2017
Topic(s) of this poem: love
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Tribhawan Kaul

Tribhawan Kaul

Srinagar (J & K) India
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