जाना होगा... Jaanaa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

जाना होगा... Jaanaa

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जाना होगा

शुक्रवार, २९ जून २०१८

जाना होगा तुम्हे कहीं और
ना मचाना कोई शोर
तुम हो मेरीसुन्दर रचना
ये बात किसी को न आ कहना।

मैंने तो कर दिया
तुम्हे शब्दों से रचा दिया
सजा दिया शाब्दिक अलंकारों से
लोग भी नोहित हो जाएंगे तेर नए आकारों से।

कोई समजे या ना समजे
तू है तो एक दूजे के लिए
समाज में तेरा मान भी मान भी होगा
रचना मेरी लोगो को खुब पसंद भी होगा

जैसे निकले तीर तरकश से
लोग भी होंगे असमंजस से
तूने उन्हें समझाना होगा
मेरा भी नाम बड़ा ही होगा।

आज के बाद तू भी जानी जाएगी
साथ में मेरी कहानी आएगी
पसंद आ गई तो जूबा पर रहेगी
हरदम उसका रटण करेगी।

हसमुख अमथालाल मेहता

जाना होगा... Jaanaa
Friday, June 29, 2018
Topic(s) of this poem: poem
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आज के बाद तू भी जानी जाएगी साथ में मेरी कहानी आएगी पसंद आ गई तो जूबा पर रहेगी हरदम उसका रटण करेगी। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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