अब दीप जला है.. jab dip jala hai
यादोंकी बारातें आये बारी बारी
किस किस को बताऊं मेरी सखेरी
वो हटना ना चाहे पलभर के लिए भी
मुझे जीना है उसके लिए भी।
आते थे पहले बादल की तरह
अब रह गया है सिर्फ विरह
में क्या कहा थी जो छोड़ गए
अपना इल्जाम मुजी को दे गए।
में ना सो पाऊँगी तुम्हारे बिना!
जीवन कैसे कटेगा मर्जी बिना
आपही बताना करके अपना मंथन
सुखी हो जाए पलभर का जीवन।
मुझे आता नहीं गमगीनी से निकालना
क्या होता है मुक्त जीवन का विचरना!
मेरी ख़ुशी दे देना पलभर के लिए
में सदाकी हो जाउंगी तुम्हारे लिए।
दीये तो थे वादे, भूल क्यों गए हो?
अपनी राह खुद चूक गए हो
फिर हम खुश है आप आ गए
मुर्जायी जिंदगी में बहार ला दिए।
अब ना चलेगा कोई और बहाना
चाहों तो कर लेना दिल से पछतावा
अब तो नहीं जाना हमें यूंही छोड़ के
मर तो जायेंगे हम यहाँ घुट के।
बुरे दिन थे हमारे, अब नहीं रहे है
आप के आने से फूल खिल गए है
गुलिस्ता हमारा महकने लगा है
जीवन में चेतना का अब दीप जला है।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
यादोंकी बारातें आये बारी बारी किस किस को बताऊं मेरी सखेरी