जबान बंद क्यों है आज तुम्हारी jaban kyo Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

जबान बंद क्यों है आज तुम्हारी jaban kyo

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जबान बंद क्यों है आज तुम्हारी?
आशा की किरण तुम हो हमारी
उम्मीद का एक ही हो सहारा
क्यों न हो सका में फिर भी तुम्हारा...

तुम ने कहा था चाँद को ले आओ
हमने भी कहा तुम पहले पास आओ
देखने दो सूरत चाँद कैसा होगा
फिर हम ले आएंगे बिलकुल आप जैसा

आप ने कहा 'सितारे क्यों चमकते है'?
रात में तारे और जुगनू क्यों दमकते है?
हमने ये बताया 'सारे सलाम करते है '
हुस्न के आगे सरेआम झुकते है

फिर भी ना जानो तो किसका कुसूर है?
हम तो न समझे और बेकसूर है
आप ही बता दो हम अब क्या करेंगे?
झुक कर आपका इन्तेजार करेंगे

आप जैसा और कोई न हमें मिलेगा
दर्द दिलका कोई कैसे समजेगा
आप ही हमारे हमदर्द होंगे
कुछ और ना सही इर्दगिर्द तो होंगे

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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