जगत का तात
बुधवार, १६ जनवरी २०१९
जगत का तात यूँ ही नहीं मरता
अपने दुःख की कहानी किसे कहता?
जब ना दिखाई देता कोइ रास्ता
तो अपने जीवन को समाप्त करता।
आजकल खेती बड़ी महंगी हो गई है
कड़ी मेहनत भी रंग नहीं लाइ
एक और कुदरत की पड़े मार
फिर हो जाता किसान लाचार।
ना कोई मदद और नाहीं कोई पुरस्कार
उसके जीवन में छा जाता अन्धकार
जब डूब जाता कर्ज के डूंगर में
तब नहीं दिखाई देता रास्ता अँधेरे में।
कहाँ जाऊं, कैसे बताऊँ?
जीवन का दुखड़ा कैसे गाऊ?
अब तो हार गया में अपनी जिंदगी से
भगवान् भी रूठ गया मेरी बंदगी से!
किसान को अपनी मेहनत का फल मिले
अपनी उपज के बाजार में अच्छे दाम मिले
अपनी दुनियादारी शांति से निभा सके
अपना सीना तानकर जी सके।
हसमुख मेहता
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किसान को अपनी मेहनत का फल मिले अपनी उपज के बाजार में अच्छे दाम मिले अपनी दुनियादारी शांति से निभा सके अपना सीना तानकर जी सके। हसमुख मेहता