जज्बा इंसानी
शनिवार, १६ फरवरी २०१९
मंझिले बहुत है
और रास्ते भी अनेक है
जुड़ते मिलते जाएंगे सफर में
हमतो फिर भी मुसाफिर कहलाएंगे।
सफल तो हो जाएंगे
आपके बतलाए रास्ते से
पर मंझिल तो हमें ढूंढनी है
और करनी भी आमदनी है।
जीवन में में धन जरुरी है
पर अति हो जाय तो बिनजरूरी है
सब चीजे मिल जाती है पैसो से
प्यार और महोब्बत नहीं मिलती ऐसे विचारों से।
जीवन है कंटीला
और मुसीबतीं से भरा
हमें रखना है उसे हरा
धबकता हुआ प्यार से भरा।
मिल जाए कोई सफरी
तो बना लेनी है जोड़ी
कटेगा जीवन और बढ़ेगा कारवाँ
खुश रहेगा अपना मनवा।
यही है इंसानियत की निशानी
ना चले उसमे किसीकी मनमानी
यदि ऐसा होगा तो कहलाएगी बेईमानी
हमें तो रखना है जज्बा इंसानी।
हसमुख मेहता
Courtesy Greham Hadfield
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