जयभारत और जयहिंदjaybharat Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

जयभारत और जयहिंदjaybharat

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जयभारत और जयहिंद

गुरूवार, १२ जुलाई २०१८

धर्म है इबादत के लिए
देश है शहादत के लिए
हम नौजवान कुर्बान हो जाएंगे
पर देश का नाम नीचे नहीं होने देंगे।

हमारा ईश्वर हमारे दिल में
पर जी लगा है वतन में
चाहे कितनी भी कुर्बानियां क्यों ना देनी पड़े!
भगवान् शक्ति दे की हम कभी भी हम पीछे नहीं पड़े।

जीन को खून की प्यास है वो लड़े
हम तो है यहां खड़े
माँ भारती के लिए जान भीहै न्योछावर कर देंगे
दुश्मनों के दांत खट्टे कर देंगे।

आप सपूत है देश के
हम सब आपके पीछे है खड़े
आप ही हमारे धर्म
और आप ही हमारे कर्म।

हिन्द ही है हमारा वतन
और कुर्बान है उसपर तन
वन्देमातरम भी कहेंगे और जयभारत भी
जयहिंद के लिए तो है हम सभी।

हसमुख अमथालाल मेहता

जयभारत और जयहिंदjaybharat
Friday, July 13, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

welcome manisha amehta 1 Manage Like · Reply · 1m

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हिन्द ही है हमारा वतन और कुर्बान है उसपर तन वन्देमातरम भी कहेंगे और जयभारत भी जयहिंद के लिए तो है हम सभी। हसमुख अमथालाल मेहता

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हिन्द ही है हमारा वतन और कुर्बान है उसपर तन वन्देमातरम भी कहेंगे और जयभारत भी जयहिंद के लिए तो है हम सभी। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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