जिंदादिली का दर्शन
सोमवार, २१ मई, २०१८
मेरी चाहत
नही करती आहत
नही बही लाती कोई आफत
यही तो कहलाती है शराफत।
हमने वो ही किया
चाहत को अपनाया
दिल से उसे अपनाया
और अपना बनाया।
बरसों गुजर गए
हाथ थामे, पर नहीं जुदा हुए
लड़ते रहें, झगड ते रहे
कितने कितने दुखों को भी सहे।
सभी का यही हाल होगा
कोई रोता होगा, तो कोई हस्ता होगा
सबका अपना अपना एहसास होगा
उसको दिल से महसूस भी करता होगा।
यही इंसानियत है
अच्छी नियत की मिसाल है
मासूमियत और काबिलियत भी है
वैसे देखो तो हकीकत भी है।
न चाहे भी हजारो दिल मिल जाते है
संसार को अपना फर्ज समझकर निभाते है
कुछ कसर रह जाय, फिर भी उफ़ तक नहीं करते
ज़िंदा है तो जिंदादिली का दर्शन भी कराते
हसमुख अमथालाल मेहता
न चाहे भी हजारो दिल मिल जाते है संसार को अपना फर्ज समझकर निभाते है कुछ कसर रह जाय, फिर भी उफ़ तक नहीं करते ज़िंदा है तो जिंदादिली का दर्शन भी कराते हसमुख अमथालाल मेहता
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Deepak Kotadia Nice lines. 1 Manage Like · Reply · 5m