जिंदगी का सफर Jindgi Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

जिंदगी का सफर Jindgi

जिंदगी का सफर

Tuesday, January 16,2018
2: 43 PM

जिंदगी का सफर

प्यार कहाँ करना पडता है!
वो तो हो जाता है
दिन मे रात
और रात में दिन महसूस होता है।

ये राज रोग है
ये महज संजोग है
जिंदगी रोशन हो जाती है
सपनों की रंगीन दुनिया जगमगाती है।

दिल मिलने को आतुर
हमेशा रहते है चिंतातुर
नदियों में आता है घोडापुर
कर्णपटल पर बझते रहते है नुपुर।

थोड़ी सी आहट
ला देती है झुंझलाहट
मन बेचेन हो जाता है
सपनेसंजोने लगता है।

प्यार का सफर
मिला देता है हमसफ़र
मेल होता है जीवनभर
वादे होते है, साथ निभाने का उम्रभर

एक छोटी सी डोर से जुड़ा हुआ है
मन को रोमांचित कर देताहै
सपने अभी तो सच होने वाले है
जिंदगी का सफर तो अब शुरू होने वाला है।

जिंदगी का सफर Jindgi
Tuesday, January 16, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 16 January 2018

एक छोटी सी डोर से जुड़ा हुआ है मन को रोमांचित कर देता है सपने अभी तो सच होने वाले है जिंदगी का सफर तो अब शुरू होने वाला है।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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