ज्यादा सुख, , Jyaadaa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

ज्यादा सुख, , Jyaadaa

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ज्यादा सुख
मंगलवार, २ अक्टूबर २०१८

मिल जाए कोई अपना साथी
और बन जाए संगाथी
सफर और जल्दी से कट जाएगा
दुनिया के हसीं सपने दिखाएगा।

ज्याद सुख भी दुःख का कारण बन जाता है
जब दुःख की छाया पड जाती है तो दर्द बढ़ जाता है
सब साथ छोड़ के चले जाते है
दूर से ही अपनी संवेदना जताते है।

अकेलापन आ जाता हे
और गहराई से छू जाता है
पुराने सुनहरे दिन की यादे दिलाते है
मन को दुखी और व्यग्र बनाते है।

ऐसे में कोई पुराना साथी याद करता है तो अच्छा लगता है
दो शब्द सांत्वना के देता है तो दिल को छू जाता है
इसी की तो हमें आवष्यकता है
मन की अराजकता को तो दूर करना है।

अपनापन जताने से नहीं आता
और बनावट से दिल नहीं छुआ जाता
वो तो अपना नंगापन दिखाता
और कमीनेपन को महसूस कराता।

यह तो एक मेला है
यहां सब को अकेला ही रहना है
मस्त होकर जिंदगी जीना है
संसारसुख का ऱस पीते रहना है।

हसमुख अमथालाल मेहता

ज्यादा सुख, , Jyaadaa
Tuesday, October 2, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 02 October 2018

welcome Shelleyandra Kapil 6 mutual friends Add Friend 1 Manage Like · 1m

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Mehta Hasmukh Amathalal 02 October 2018

यह तो एक मेला है यहां सब को अकेला ही रहना है मस्त होकर जिंदगी जीना है संसारसुख का ऱस पीते रहना है। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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