कहा मानो
शुक्रवार, २३ नवम्बर २०१८
मेरा कहा मानो
इंसानों को पहचानो
ये रिश्ता है पुराना
हमने ख़ुशी से है अपनाना।
कोई बुरा भले होव
हम क्यों भलाई छोड़ दे?
सच, झूठ का ख्याल क्यों ना होवे?
अच्छी चीज मन को जरूर भावे।
जीवन को ऐसे ही जी लो
पराए को भी दिल से अपनालो
बातबात में ना उलझाओ
सही ढंग से सबको बता दो।
ऐसा जीवन मिलना दुर्लभ
नए तरीके से बनाओ उसे सुलभ
हो सके तो लगाओ मरहम
मिट जाएगा दिख और वहम।
प्रेम और सदभावना
सब की रही है चाहना
हर कोई चाहे शांति से जीना
जीवन में यश और कीर्ति को पाना।
हसमुख मेहता
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
प्रेम और सदभावना सब की रही है चाहना हर कोई चाहे शांति से जीना जीवन में यश और कीर्ति को पाना। हसमुख मेहता