कहे पर माफ़ी मांगी
नन्हे जब तू छोटा था
मेरे पास ही सोता था
बिस्तर भी बार बार गीला करना तेरी आदत सी हो गयी थी
तेरी नींद में खलेल ना पहुंचे इसलिए में थोड़ा सा भी हिलती नहीं थी।
समय का पता भी ना चला
तू तो एकदम जवान हो चला
अब मुझे नई दुल्हन लाने की चिंता लगी
तुझे में पिता सी लगने लगी।
तुझको पढ़ाया लिखाया
मैंने खूब महेनत से तुझे आघे बढ़ाया
इतना जरूर से सोचा 'अब मुझे नहीं चुकाना पडेगा किराया'
मेरी की हुई दुआ ने अब रंग दिखाया।
नै नवोढा ने पर छुए
मैंने भी उसे खूब आशीर्वाद दिए
पर ये क्या? लड़का बार बार तिरस्कृत करने लगा
बहु के सामने मेरा अपमान ओर बेहुदा बातें करने लगा।
बहु विचक्षण थी, वो सब समज गयी
उसने माता जी को समझाया और ढाढस बंधाई
'मेरी माँ बचपन में गुजर चुकी'
यह बात कहते कहते उसने ली एक हिबकी।
में शर्म से पानी पानी हो गयी
बच्चे के लालनपालन पर शंकाशील हो गयी
एक परजनी मुझे माँ केहकर पुकार रही थी
और मेरे खुद के बेटे से में लज्जित जो रही थी
एक दिन तो उसने हद ही कर दी
मेरी बांह पकड़कर घर से बाहर कर दी
अब तू कहीं भी अपनी व्यस्था कर ले
जो भी खर्चा किया है मेरे पर, उसका पैसा ले ले।
'उठो माताजी' में आपके साथ हूँ
'उसने थामा हाथ ओर कहा ' में देती साथ हूँ
यह सुनकर लालाजी शर्मा गए ओर पाँव पड गए
अपने कहे पर माफ़ी मांगी और फिर ढीले से पड गए।
कहे पर माफ़ी मांगी उठो माताजी में आपके साथ हूँ उसने थामा हाथ ओर कहा में देती साथ हूँ यह सुनकर लालाजी शर्मा गए ओर पाँव पड गए अपने कहे पर माफ़ी मांगी और फिर ढीले से पड गए।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
Deepak Kumar Exactly Unlike · Reply · 1 · 11 mins