काहेका कोई खेरखा है
किसी ने लिख दिया ये 'हसमुख'
लम्पट और पिक्चर चुरानेवाला 'महामुर्ख'
न उसे उम्र का लिहाज है ना अपनी इज्जत का
बस कर दो उसे बेदखल और कर दो बेइज्जत
हम तो बस लिखे जा रहे थे अपंनी मस्ती में
कभी ना रहे आलसी और सुस्ती में
की अचानक यह बात सुन ने में आई
हमारे दिल ने थोड़ी सी टीस लगाई
एक अच्छे प्रशासनिक ने तो हमें निकाल ही दिया
ना देखा आव और ना देखा ताव बस उनकी सुन लिया
खेर यह उनका अनुमान है और सोच साहित्य के बारे में
हम तो ले जा रहे थे नैया को किनारे में
वाचक ने गर्व महसूस करना चाहिए
यदि उसकी कोई अच्छी तस्वीर कविता के अनुरूप है
कोई मेसेज उस से आम लोगो तक जा रहा है
किस को आज कल पड़ी है की कोन क्या कर रहा हे और कहाँ जा रहा है?
हमारा यदि कोई योगदान आप सब को नहीं भाया तो हम क्षमाप्रार्थी है
जब तक काव्यरचना का सम्बन्ध है तो हम सब यहाँ विद्यार्थी ही है
किसी की कोई मानहानि नहीं होती बल्कि इजाफा होता है
हम तो इस ख्याल में जीते है और वफ़ा का लुफ्त उठाते है
कई है हमारे अनगिनत प्रशंशक जो दिल के करीब है
हो सकता है उनका दिल अमीर और हम गरीब है
खूबसूरती का अन्दाजा गुल को नहीं होता
बस उसे तो कोई दो शब्द अच्छे कह दे वोही है सुहाता
आप सब सुन रहे है या यदि पढ़ रहे है
तो अपनी प्रतिक्रया अवश्य दे और अवगत करे हमें
हमारा लिखना कभी भी रोका जा सकता है
पर लेखन ऐसा कार्य है वो रुकता नहीं है
काव्य यदि छबि के साथ हो तो चार चाँद लग जाते है
अनकहे शब्द मानो अपनी अभिव्यक्ति जाहीर कर देते है
बाकि तो घ्यानी कह गए है ' नाम में क्या रखा है '
जब शरीर को ही नहीं रहना यहाँ तो काहेका कोई खेरखा है
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Kya baat hasmukhjee, aap to namasya aap jeisa kabi bastabik biral hai, mera namaskar sweekar karen, Dhanyabad.