खौफ का झहर Khauf Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

खौफ का झहर Khauf

खौफ का झहर

किस किस से नफरत करोगे?
समय आने पर सहारा किससे लोगे?
कौन होगा आपके दुःख को समझने वाला?
अपनी शरण में बखूबी से लेने वाला।

ये सब नामुम्क़िन है
और मुश्किल भी
यदि आप किसी से मेलजोल नहीं रखते
दोस्ताना वजूद को तबज्जु नहीं देते!

दोस्तों का होना एक अच्छी निशानी है
ये है अपने आप में एक अच्छी मिसाल की कहानी
दोस्तों से बढ़कर मददगार और कोई नहीं
क्योंकि कृष्णा सुदामा का जोड़ीदार और कोई नहीं।

दोस्ती में हमेशा ख़ुशी ही बांटना
रंजिश को कभी जगह मत देना
एक दुसरो को समझने की कोशिश करना
और हो सके तो थोड़ा सा दरगुजर करना।

दोस्ती की और कोई मिसाल नहीं
वो हमेशा बेमिसाल ही रही
किसी ने उसका फायदा नहीं उठाया
बस अपने हिस्से में घाटा ही खाया।

नफरत नहीं मिटाता
बल्कि बढ़ाता
खूब खौफ का झहर
ओर फैलाता उसका कहर।

खौफ का झहर Khauf
Wednesday, May 24, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

नफरत नहीं मिटाता बल्कि बढ़ाता खूब खौफ का झहर ओर फैलाता उसका कहर।

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welcome aasha sharma Like · Reply · 1 · Just now

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Aasha Sharma Nice of you LikeShow More Reactions · Reply · 1 · 24 mins

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welcome hitesh sharma Like · Reply · 1 · Just now

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Aasha Sharma Jab hm hi na honge Tou kaun dekhega air

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welcome rupal bhandari Like · Reply · 1 · 1 min

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welcome aman pandey Like Like Love Haha Wow Sad Angry · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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